बैगा आदिवासियों के नाम किया जीवन
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर प्रभुदत्त खेरा 35 वर्षों तक अचानकमार के जंगल में रहे. शैक्षणिक भ्रमण पर लमनी आए प्रोफेसर खेरा ने बैगा आदिवासियों की जिंदगी को करीब से देखा और फिर यहीं रहने का मन बना लिया. नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें महानगर की चकाचौंध नहींContinue Reading