छत्तीसगढ़ गाथा डेस्क/
छत्तीसगढ़ के जनकवि लक्ष्मण मस्तूरिया का आज जन्मदिन है. गीत संगीत में जरा सी भी रुचि लेने वाला कोई छत्तीसगढ़िया आज उनके नाम से अपरिचित नहीं है. वे छत्तीसगढ़ के दिल की आवाज थे. यहां की पीड़ा और प्रेम को उन्होंने शब्द और स्वर दिए. उनके रचे और गाये गीत सदियों तक छत्तीसगढ़ में गाए-गुनगुनाए जाते रहेंगे.
उनका जन्म बिलासपुर जिले के मस्तूरी में 7 जून 1949 को हुआ. बिलासपुरिहा छत्तीसगढ़ी की मिठास उनके गीतों में अनुभव की जा सकती है. कम उम्र से ही उन्होंने छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक सौंदर्य, यहां के सीधे सादे मेहनतकश लोगों, यहां होने वाले शोषण और लोगों के मन में सुलग रहे विद्रोह की भावना को देखा, समझा और अनुभव किया. ये सभी भाव उनकी कलम से और फिर उनके कंठ से गीत बनकर जन जन के जीवन का हिस्सा बन गए.
लक्ष्मण मस्तुरिया जब युवा ही थे, बघेरा के दाऊ रामचंद्र देशमुख ने चंदैनी गोंदा के नाम से एक सांस्कृतिक आयोजन का शुभारंभ किया. इसमें छत्तीसगढ़ के चुने हुए गीतकार-गायकों को लिया गया. इन गीतकारों में 22 साल के लक्ष्मण मस्तुरिया भी शामिल थे. जल्द ही उनके गीत लोगों की जुबान पर चढ़ गए. उनके गीतों में लोगों को अपने दिल की बात नजर आने लगी. उनके मीठे कंठ के निकली आवाज लोगों के दिलों में बस गई. वे सच्चे मायने में जनकवि बन गए.
‘चंदैनी गोंदा’ में छत्तीसगढ़ के खेत-खलिहान और मजदूर-किसानों के जीवन संघर्ष को गीतों भरी मार्मिक कहानी के रूप में नाट्य रूपांतरण कर प्रस्तुत किया जाता था. इसका पहला प्रदर्शन 1971 में हुआ. इसके सुंदर और मनभावन गीतों में से ज्यादातर गीत लक्ष्मण मस्तूरिया ने लिखे थे. रामचंद्र देशमुख ने घुमंतू देवार समुदाय के लोक कलाकारों को भी ‘चंदैनी गोंदा’ से जोड़ा. 1974-95 में उन्होंने ‘देवार डेरा’ नाम की प्रस्तुति की. लक्ष्मण मस्तूरिया ने देवारों के बहुत से निरर्थक शब्दों वाले पारंपरिक गीतों को परिमार्जित किया. उन्होंने चंदैनी गोंदा के लिए लगभग 150 गीत लिखे. इनमें से चालीस से पचास गीत मंच पर उपयोग होते रहे. लक्ष्मण मस्तूरिया के गीतों में मानवीय संवेदनाओं के साथ माटी की महक थी. यही कारण था कि उनके लिखे और गाए गीत सीधे लोगों के दिल में जगह बनाते चले गए. उनके गीतों को लोगों ने हाथों-हाथ लिया.
आकाशवाणी रायपुर से जब उनके गीतों का संगीतमय प्रसारण होने लगा तो वे और अधिक लोगों तक पहुंचे और उनकी दिनचर्या में शामिल हो गए. लक्ष्मण मस्तूरिया के गीतों में छत्तीसगढ़ की भूमि, लोग, नदी, पानी सबकुछ समाहित है. उनके गीत लोगों में नई उम्मीद जगाते हैं. लक्ष्मण मस्तूरिया छत्तीसगढ़ के उन गिने-चुने कवियों में से हैं, जिन्हें राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के अवसर पर लाल किले के मंच से कविता पाठ का अवसर मिला. 1974 में उन्हें गोपालदास नीरज, बालकवि बैरागी, रमानाथ अवस्थी, डॉ. रविंद्र भ्रमर, इंद्रजीत सिंह ‘तुलसी’, निर्भय हाथरसी और रामवतार त्यागी जैसे लोकप्रिय कवियों के साथ आमंत्रित किया गया था.
चंदैनी गोंदा, आकाशवाणी, दूरदर्शन और कवि सम्मेलनों के मंच से होते हुए लक्ष्मण मस्तूरिया ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए भी गीत लिखे हैं. राज्य निर्माण के आसपास बनी फिल्म ‘मोर छइयां भुइयां’ के कर्णप्रिय गीत लक्ष्मण मस्तूरिया ने ही लिखे थे. ‘मोर संग चलव रे’, ‘भोला छत्तीसगढ़िया’, ‘पिंजरा के मैना’, ‘पुन्नी के चंदा’, ‘मया के बंधना’ जैसी अनेक फिल्मों के गीत लक्ष्मण मस्तूरिया ने लिखे. ग्रामोफोन के जमाने में उनके गीतों को सुरों में सजाकर करीब 40 रिकार्ड भी बाजार में उतारे गए, जिन्हें लोगों ने खूब पसंद किया. उनके गीतों के सैकड़ों कैसेट्स और आडियो-वीडियो को लोगों ने हाथों-हाथ लिया.
लक्ष्मण मस्तूरिया का पहला काव्य संग्रह ‘मोर संग चलव रे’ 2003 में प्रकाशित हुआ. इसमें कुल 77 कविताएं हैं. 2008 में 61 निबंधों की संग्रह ‘माटी कहे कुम्हार से’ प्रकाशित हुआ, वहीं इसी 2008 में ही उनका एक और कविता संग्रह ‘सिर्फ सत्य के लिए’ आया. इसके पहले छत्तीसगढ़ के महान क्रांतिकारी शहीद वीर नारायण सिंह की जीवन-गाथा पर आधारित उनकी एक लंबी कविता ‘सोनाखान की आगी’ भी पुस्तक के रूप में प्रकाशित हो चुकी थी. गंवई गंगा, हमू बेटा भुईयां के और धुनही बंसुरया भी उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं. मस्तूरिया को आंचलिक रचनाकार सम्मान, रामचंद्र देशमुख बहुमत सम्मान, सृजन सम्मान जैसे अनेक सम्मानों से सम्मानित भी किया गया. लक्ष्मण मस्तूरिया रायपुर के राजकुमार कॉलेज में लंबे समय तक प्राध्यापक रहे. अपने लिखे गीतों और आवाज से लोगों का दिल जीतने वाले कवि-गीतकार ने 3 नवंबर 2018 को दुनिया को अलविदा कर दिया.
लक्ष्मण मस्तूरिया के कुछ प्रसिद्ध गीत…
1.
पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला
तोर गांव के तोर काम के तोर नाम के पता देजा
पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला
का तोर गांव के पार दिवाना
डाकखाना के पता का
नाम का थाना कछेरी के तोरे
पारा मोहल्ला जघा का
को तोरे राज उत्ती बुड़ती रेलवाही का हवे सड़किया
पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला
मया नि चिन्हे रे देशी बिदेशी
मया के मोल ना तोल
जात बिजात ना जाने रे मया
मया मयारू के बोल
काया माया सब नाच नचाये
मया के एक नजरिया
पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला
जियत जागत रईबे रे बैरी
भेजबे कभुले चिठिया
बिना
बोले भेद खोले रोये
जाने अजाने पिरितिया
बिन बरसे उमड़े घुमड़े जीव
मया के बैरी बदरिया
पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला
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2.
मैं बंदत हौंव दिन रात वो
मोर धरती मईया
जय होवय तोर
मोर छईयां भुईयां
जय होवय तोर
सूत उठ के बड़े बिहनिया
तोरे पईया लागव
सूत उठ के बड़े बिहनिया
तोरे पईया लागव
सुरुज जोत मा करव आरती
गँगा पांव पखारव
सुरुज जोत मा करव आरती
गँगा पांव पखारव
फेर काया फूल चढ़ावव
वो मोर धरती मईया
हाय रे मोर छईयां भुईयां
जय होवय तोर
तोर कोरा सब जीव जंतु के
घर दुवार अउ डेरा
तोर कोरा सब जीव जंतु के
घर दुवार अउ डेरा
तहीं हमन के सुख दु:ख
अउ ये जिनगी के घेरा
तहीं हमन के सुख दु:ख
अउ ये जिनगी के घेरा
तोर मया मा जग दुलरामय
वो मोर धरती मईया
हाय रे मोर छईयां भुईयां
जय होवय तोर
राजा परजा देवी देवता
तोर कोरा मा आईन
राजा परजा देवी देवता
तोर कोरा मा आईन
जईसन सेवा करिन तोर
वो तईसन फल ला पाइन
जईसन सेवा करिन तोर
वो तईसन फल ला पाइन
तोर महिमा कतक बखानव
वो मोर धरती मईया
हाय रे मोर छईयां भुईयां
जय होवय तोर
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3.
मोर संग चलव रे
मोर संग चलव जी…
ओ गिरे थके हपटे मन
अऊ परे डरे मनखे मन
मोर संग चलव रे
अमरैया कस जुड छांव मै
मोर संग बईठ जुडालव
पानी पिलव मै सागर अव
दु:ख पीरा बिसरालव
नवा जोत लव नव गाँव बर
रस्ता नवा गढव रे
मोर संग चलव रे
मै लहरी अव
मोर लहर मा
फरव फूलो हरियावअ
महानदी मै अरपा पैरी
तन मन धो हरियालव
कहाँ जाहु बड दूर हे गँगा
मोर संग चलव रे
दीपक संग जूझे बर भाई
मै बाना बांधे हव
सरग ला पृथ्वी मा ला देहूं
प्रण अइसन ठाने हव
मोर सिमट के सरग निसइनी
जुर मिल सबव चढ़व रे
मोर संग चलव रे
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4.
वाह रे मोर पड़की मैना
तोर कजरेली नैना
मिरगिन कस रेंगना तोरे नैना
तोरे नैना मारे वो चोखी बाण
हाय रे तोर नैना
गोरी सम रेंग रे जोड़ी
जीव ला ले डारे मोर
आठो पहर रे संगी
आँखी मा छाँव रे तोर
का फुरफुन्दी कहाव
घटा कस चुन्दी कहाव
चमके जैसन बिजली तोरे नैना
तोरे नैना मारे वो चोखी बाण
हाय रे तोर नैना
मोर अंधियार मया ला
देहे तैं अंजोर रे
लागे मया तोर संग मा
पीरा मारय जोर रे
का तोला चंदा काहव
मोर गर फंदा काहव
मोर लरी के माला तोरे नैना
तोरे नैना मारे वो चोखी बाण
हाय रे तोर नैना
गोरी ये तोर हसाई
मोर बड़े बैरी ये
रानी अउ मोर मराई
ये तोर पैरी ये
बाजे जब छुमुक छुमुक
नाचे मन ठुमुक ठुमुक
किंजर जाथे गर्रा तोरे नैना
तोरे नैना मारे वो चोखी बाण
हाय रे तोर नैना
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5.
शहर डहर के जवईया चिकन चातर के रेंगईया
दया मया लेजा रे मोर गाँव ले
बईठ बर छईहा बगरे मन बईठाले
बईठ नीम छईहा मा घम आ छईहा ले
तरिया के पानी मा मन भर नहा ले
नरवा के पानी पी हिरदे जुड़ाले
चार पहर रतिहा परछी मा पहा ले
थके हारे तन ला नवा बल बांधले
हो शहर डहर के जवईया चिकन चातर के रेंगईया
दया मया लेजा रे मोर गाँव ले
दु दिन के चकचक चक्कर मा भुला झन
डोरी हे कच्चा जीवन ला झूला झन
मौत होये के पथरा मा ठोकर तैं खा झन
मधु मद मा मरमर के जियत भूंजा झन
ले जाही काल पकड़ सब नगा के
जे भेजे हाबे हम सब ला बना के
हे दुनिया के जे चलईया हाबे बड़ा निरदईया
दया मया लेजा रे मोर गाँव ले
हो शहर डहर के जवईया चिकन चातर के रेंगईया
दया मया लेजा रे मोर गांव ले
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