छत्तीसगढ़ गाथा डेस्क/
जंगलों की कटाई और पहाडों के उत्खनन की खबरें तो आपने अक्सर देखी-सुनी होगी, लेकिन पहाड़ को बचाने उस पर जंगल उगाने की कहानी बहुत कम बार देखने और सुनने को मिलती है. इस बार ऐसी ही एक अच्छी खबर छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले से आई है, जहां के बेलमहादेव पहाड़ के ऊपर जंगल उगाने की तैयारी है. अवैध कटाई और आगजनी की घटनाओं से अपनी हरियाली खो चुके इस पहाड़ के ऊपर व आसपास के करीब 15 हेक्टेयर भूमि पर 4 लाख पौधे लगाने की कवायद शुरू की गई है.
बताते हैं कि, किसी समय इस पहाड़ के ऊपर अच्छी-खासी हरियाली हुआ करती थी, लेकिन पेड़ों की अवैध कटाई और आगजनी की घटनाओं के कारण हरियाली न के बराबर बची है. पहाड़ पर अवैध खनन माफियाओं की नजर है. उनके इशारों पर अवैध कटाई और आगजनी की घटनाएं होती रहती हैं. ऐसे में पहाड़ को बचाने स्थानीय लोगों ने उस पर जंगल उगाने की मुुहिम शुरू की है. कुछ लोगों से शुरू हुआ यह कारवां अब धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा है.
कुछ दिनों पूर्व जशपुर के युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन ने बेलमहादेव पहाड़ को बचाने सोशल मीडिया पर लोगों से अपील की थी. उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि ‘क्यों ने जनभागीदारी से बेलमहादेव पहाड़ में पुन: एक सुंदर जंगल की स्थापना की जाए, सहमत हों तो साथ आएं.’ उनकी इस अपील का लोगों पर अच्छा-खासा असर देखने को मिल रहा है और बड़ी संख्या में लोग उनकी इस मुहिम से जुड़ रहे हैं. बताया जा रहा है कि पांच दिनों में 200 लोग मुहिम का हिस्सा बन चुके हैं. इसमें सभी वर्ग के लोग शामिल हैं. खासकर युवाओं में इसे लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है. युवाओं का मानना है कि जंगल और पहाडों को बचाया जाना बेहद जरूरी है. पेड़ों से न केवल जीवनदायिनी आॅक्सीजन मिलती है, बल्कि पर्यावरण भी साफ-सुथरा रहता है. पेड़ों की अवैध कटाई और जंगलों के उजड़ने के कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है. भविष्य में इसके भयावह परिणाम देखने को मिलेंगे. इसलिए पेड़ों को लगाने और उन्हें बचाने की सख्त जरूरत है.
बनाए टेलीग्राम ग्रुप
लोगों को मुहिम से जोडने से सोशल मीडिया प्लेटफार्म टेलीग्राम पर ग्रुप बनाए गए हैं. फिलहाल इसमें 200 लोग जुड़े हैं, लेकिन लोगों के जुड़ने का सिलसिला लगातार जारी है. रोजोना 25-30 नए लोग ग्रुप में जुड़ रहे हैं. समर्थ कहते हैं- इस तरह की मुहिम में ज्यादा से ज्यादा लोगों के जुड़ने की जरूरत होती है. जशपुर जिले की खासियत है कि ऐसे कार्यों में यहां के लोग बढ़-चढ़ हिस्सा लेते हैं. उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही यह संख्या हजारों में होगी.
जिला प्रशासन व वन विभाग कर रहा मदद
बेलमहादेव पहाड़ पर जंगल उगाने की मुहिम को जशपुर जिला प्रशासन व वन विभाग की भी मदद मिल रही है. समर्थ बताते हैं कि जब इस मुहिम की जानकारी कलेक्टर महादेव कावरे व डीएफओ श्रीकृष्ण जाधव को दी गई तो उन्होंने फौरन इसके लिए हामी भर दी. पहाड़ के ऊपर जंगल उगाने के लिए पौधे फिलहाल वन विभाग की ओर से उपलब्ध कराए जा रहे हैं. पौधे के देखरेख की जिम्मेदारी जिला प्रशासन, वन विभाग के साथ स्थानीय लोगों की है.
दो दिन में रोपे 500 पौधे
पहाड़ पर जंगल उगाने की शुरुआत हो चुकी है. बताया जा रहा है कि दो दिनों में 500 पौधे रोपे गए हैं. पहाड़ के ऊपर और आसपास के क्षेत्र 4 लाख पौधे रोपे जाने हैं. इसमें काफी वक्त लगेगा, वहीं इसके लिए बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत होगी. इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोगों के मुहिम में जुड़ने अपील की जा रही है. मुहिम में जुड़ चुके लोगों के साथ कार्य की पूरी रूपरेखा तैयार की जा रही है. अभी गर्मी के मौसम को देखते हुए पेड़ों को पानी देने से लेकर रखरखाव की जरूरत है. इन सारे बिंदुओं पर गहन विचार-विमर्श किया जा रहा है.
तैयार किए जा रहे 2.5 लाख सीड बॉल
पहाड़ की ऐसी जगहें, जहां लोगों का पहुंचना मुश्किल होता है, वहां सीड बॉल फेंककर पौधे उगाने की तैयारी है. समर्थ बताते हैं कि इसके लिए 2.5 लाख सीड बॉल बनाने की प्रक्रिया चल रही है. बरसात शुरू होते ही ऊपरी और पहुंचविहीन क्षेत्रों में सीड बॉल फेंके जाएंगे. इस तरह के प्रयोग पहले भी किए गए हैं, जो काफी सफल रहे हैं. पहुंचविहीन क्षेत्रों में इसी तरह से पौधे उगाए जाते हैं.
रोपे जाएंगे 60 प्रजाति के पौधे
बेलमहादेव पहाड़ के ऊपर आसपास के क्षेत्र में कुल 60 प्रजाति के पौधे रोपे जाएंगे. इनमें फलदार, पौधों के अलावा इमारती, औषधीय, फूल के पौधे व झाड़ियां होंगी. इनमें प्रमुख से आम, पीपल, बरगद, साल, साजा, सरई, बीजा, सीशम, अर्जुन, महुआ, करंज, अडूसा, सेमल, पलाश, मुनगा, चार, चंपा, चमेली, लीची, गूलर व बांस आदि के पौधे व झाड़ियां शामिल हैं.
मध्यप्रदेश को लेना चाहिए सबक
जशपुर के युवाओं की मुहिम से मध्यप्रदेश सरकार को सबक लेने की जरूरत है. मध्यप्रदेश का छतरपुर जिला इन दिनों सुर्खियों में हैं. जिले के बक्सवाहा इलाके के जंगलों के नीचे 50 हजार करोड़ के हीरे होने का अनुमान है. इन हीरों को निकलाने के लिए करीब 2.5 लाख पेड़ों की बलि देने की तैयारी है. इस निर्णय के खिलाफ न केवल मध्यप्रदेश, बल्कि देश के दूसरे राज्यों के लोग भी विरोध कर रहे हैं. लोग जानते हैं कि हीरे से ज्यादा जरूरत उन्हें आक्सीजन की है, लेकिन सरकार और उद्योगपति अपने मुनाफे के लिए जंगल और पेड़ों की बलि देने पर तुले हुए हैं. इससे पर्यावरण का भारी नुकासन होने वाला है.
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