इंदिरा गांधी का इंतजार करते कड़ाके की ठंड में रात 2 बजे तक डटी रही भिलाई की जनता

मुहम्मद जाकिर हुसैन/

पूर्व प्रधानमंत्री स्वं. इंदिरा गांधी का भिलाई से आत्मीय लगाव रहा है. 9 फरवरी 1963 को इंदिरा गांधी का पहला भिलाई दौरा उनके पिता पं. जवाहरलाल नेहरू के कहने पर हुआ था. तब वो किसी पद पर नहीं थीं, यहां तक कि सांसद भी नहीं थीं. तब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता परिषद् की सदस्य थीं.

दरअसल, वह ऐसा दौर था, जब चीनी हमले से उबरने के बाद देश को मजबूत बनाने हर भारतवासी अपना योगदान दे रहा था. ऐसे में भिलाई बिरादरी ने अपना योगदान समर्पित करने विशेष कार्यक्रम में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को आमंत्रित किया था.

तब भिलाई स्टील प्लांट की कमान संभाल रहे जनरल मैनेजर सुकू सेन एक कुशल इंजीनियर होने के अलावा स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान चरमपंथी गतिविधियों में संलग्न रही अनुशीलन पार्टी के सदस्य भी रह चुके थे.

इसलिए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से उनके आत्मीय रिश्ते थे. हालांकि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्र नेहरू को ही आना था लेकिन किन्हीं व्यस्तताओं के चलते वे नहीं आ सके और उन्होंने प्रतिनिधि के तौर पर अपनी बेटी इंदिरा गांधी को भेजा था.

तब इंदिरा गांधी की भी पहचान देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बेटी के तौर पर ही ज्यादा थी. इसलिए उन्हें सुनने सिविक सेंटर ओपन एयर थियेटर का मैदान खचा-खचा भरा हुआ था. आमसभा के पहले श्रीमती गांधी भिलाई स्टील प्लांट पहुंची थीं. जहां उन्होंने विभिन्न इकाइयों का दौरा किया.

इसी दिन शाम को वह विशेष कार्यक्रम में शामिल हुईं, जिसमें बीएसपी की ओर से जनरल मैनेजर सुकू सेन और भिलाई महिला समाज की ओर से अध्यक्ष इला सेन ने राष्ट्रीय रक्षा कोष में डेढ़ लाख रुपए का अंशदान दिया था.

इस दौरान समस्त दानदाताओं का आभार व्यक्त करने आफिसर्स एसोसिएशन की ओर से एक लक्की ड्रा भी रखा गया था. इंदिरा गांधी के हाथों यह लक्की ड्रा निकालकर अफसरों और उनके परिवारों को उपहार भी दिए गए थे. इसके बाद श्रीमती गांधी अगली सुबह नई दिल्ली रवाना हो गईं.

इस तरह सिविक सेंटर किया गया था इंदिरा के नाम पर, जनरल मैनेजर पृथ्वीराज आहूजा लोकार्पण करते हुए

बांग्लादेश निर्माण के बाद एक लोकप्रिय जननेता बन कर उभरी इंदिरा गांधी का दौर था. तब बांग्लादेश निर्माण और पाकिस्तान की करारी हार के चलते इंदिरा गांधी अपनी लोकप्रियता के चरम पर थीं.

16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के पराजय स्वीकार कर लेने के बाद जब औपचारिक तौर पर बांग्लादेश का गठन हो गया तो भिलाई स्टील प्लांट मैनेजमेंट ने अपनी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को एक टोकन गिफ्ट देने का फैसला लिया.

तब के जनरल मैनेजर (स्व.) पृथ्वीराज आहूजा से बीते दशक में जब मेरी मुलाकात हुई तो उन्होंने इस पर तफसील से बताया था. किस्सा मुख्तसर यह है कि नई दिल्ली के कनॉट प्लेस की तर्ज पर बनाए गए भिलाई के मार्केट सिविक सेंटर को इंदिरा प्लेस का नाम देना तय हुआ था.

इसके लिए तमाम औपचारिकताओं और मंजूरी के बाद कार्यक्रम बना कि इंदिरा प्लेस का लोकार्पण खुद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी करेंगी. इसके लिए तारीख भी तय हो गई और कार्यक्रम भी. लेकिन ऐन वक्त पर 26 जनवरी की व्यस्तता को देखते हुए प्रधानमंत्री का भिलाई दौरा टल गया और (स्व. आहूजा के मुताबिक) प्रधानमंत्री कार्यालय की मंजूरी के बाद तय हुआ कि जनरल मैनेजर आहूजा ही इस विशेष पट्टिका का अनावरण कर दें.

इस तरह 25 जनवरी 1972 से सिविक सेंटर का नाम बदल कर इंदिरा प्लेस कर दिया गया. ये अलग बात है कि आज भी अधिकृत नाम पते के तौर पर हम लोग इंदिरा प्लेस सिविक सेंटर लिखते हैं.

ये किस्सा तब का है, जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री नहीं थीं. चौधरी चरण सिंह की सरकार गिर चुकी थी और आम चुनाव की घोषणा हो चुकी थी. मतदान 3 से 6 जनवरी 1980 तक होना था.

ब्लास्ट फर्नेस-1 में, सिविक सेंटर में लकी ड्रा निकालते हुए और आम सभा को सम्बोधित करते हुए इंदिरा गाँधी

भिलाई के दो बार विधायक रहे फूलचंद बाफना (अब दिवंगत) करीब 17 साल पहले इस बारे में मुझे एक रिकार्डेड इंटरव्यू में विस्तार से बताया था. स्व. बाफना ने जो बताया था, सब कुछ उन्हीं के शब्दों में…

”अचानक रात 2 बजे वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल का टेलीफोन आया. उन्होंने कहा-इंदिरा जी छत्तीसगढ़ में आम चुनाव के लिए प्रचार करेंगी तो भिलाई स्टील प्लांट की एम्पाला कार के लिए बात कर लो. मैनें सुबह बीएसपी के मैनेजिंग डायरेक्टर शिवराज जैन को फोन लगाया तो वो थोड़ा हिचकिचाए.

मैनें उनकी उलझन को दूर करते हुए कहा कि आप कांग्रेस पार्टी को कार मत दीजिए, बल्कि हमारी इंटक यूनियन के नाम पर दीजिए. हम उसका पूरा किराया भुगतान करेंगे. इस तरह रास्ता निकला और बीएसपी के मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठन इंटक के नाम पर एम्पाला कार इंदिरा जी के लिए बुक कराई गई.

इंदिरा जी रायगढ़-बिलासपुर होते हुए भिलाई आ रही थीं. इसलिए यहां 32 बंगला के ठीक सामने सेक्टर-8 में खाली मैदान में अपार जनसमूह उमड़ा था. सभा शाम 6 बजे होनी थी, लेकिन इंदिरा जी के आगमन में लगातार विलम्ब होता गया. यहां तक कि रात के 10 बज गए, पर इंदिरा जी नहीं पहुंची. लेकिन जनता वहां से टस से मस नहीं हुई. लोग डटे हुए रहे.

लोगों का इंतजार बढ़ता रहा और आखिरकार रात 2 बजे इंदिरा जी भिलाई पहुंचीं. उनके पहुंचते ही रात 2 बजे भी जनता जिंदाबाद के नारे लगा रही थी. इंदिरा जी मंच पर पहुंची और सबसे पहले उन्होंने देरी के लिए माफी मांगी. उन्होंने सभा को संबोधित किया.

इसके बाद यहां से वो राजनांदगांव के लिए रवाना हुई. इंदिरा जी अपने साथ एक मिनी ट्यूबलाइट रखती थीं. सुबह के 3 बजे रहे थे और रास्ते में अंजोरा, टेढ़ेसरा और सोमनी में जगह-जगह अपार जनसमूह इंदिरा जी का इंतजार कर रहा था.

इंदिरा जी कार से उतर कर मिनी ट्यूबलाइट और कार की हेडलाइट की रोशनी में सबका अभिवादन करते हुए बढ़ने लगीं. इस बीच रास्ते में बीएसपी की एम्पाला कार पंक्चर हो गई, फिर उतनी ही रात में बनवाया गया.

तब तक के लिए इंदिरा जी विद्याचरण शुक्ल की कार में बैठीं. सुबह करीब 4 बजे इंदिरा जी राजनांदगांव पहु्ंचीं तो वहां भी दूर-दूर से हजारों की तादाद में ग्रामीण जनता आकर मैदान में डटी हुई थी.

वहां उन्होंने सभा को संबोधित किया और इसके बाद रायपुर रवाना हुईं. जहां सर्किट हाउस में फ्रेश होने के बाद कुछ देर ध्यान किया. इसके बाद नाश्ता किया और फिर गुजरात के लिए विशेष विमान से रवाना हो गईं.

मैनें चंदूलाल चंद्राकर जी से पूछा कि इंदिरा जी तो पूरी रात सभाएं लेते रहीं तो सोएंगी कब? तब चंदूलाल जी ने बताया कि विमान में डेढ़ घंटे में वो अपनी नींद पूरी कर लेंगी।” ये पूरे उद्गार स्व. बाफना के थे.

इंदिरा जी ने मुझ जैसे छोटे कार्यकर्ता को अपने
घर पर कराया भोजन, हमेशा रखती थीं ध्यान

दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी के तीन दशक तक महामंत्री रहे पूर्व मंत्री और भिलाई विधायक बदरुद्दीन कुरैशी के जहन में स्व. इंदिरा गांधी से जुड़ी कई यादें हैं, जो आज भी उन्हें भाव-विभोर कर जाती हैं. कुरैशी बेहद भावुक होकर बताते हैं कि एक मौका ऐसा भी आया, जब इंदिरा गांधी ने उन्हें अपने घर पर भोजन करवाया और दुर्ग में कांग्रेस से जुड़ी तमाम जानकारी ली.

कुरैशी को इस बात का मलाल है कि इंदिरा और राजीव गांधी के दौर में संगठन स्तर पर जैसी गंभीरता शीर्ष नेतृत्व और प्रदेश स्तर के नेतृत्व में होती थी, वैसी अब देखने को नहीं मिलती.

1978 में मेरे जीवन का वह यादगार पल-कुरैशी
कुरैशी बताते हैं-1978 में बारिश का मौसम था और तब दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री की हैसियत से संगठन के कार्य से वे दिल्ली गए थे. उनके साथ स्टील वर्कर्स यूनियन (इंटक) के पदाधिकारी जीपी तिवारी भी थे. दिल्ली में उनकी मुलाकात युवा नेता जगदीश टाइटलर और युवक कांग्रेस के तब के महामंत्री सुदर्शन अवस्थी से हुई. इन दोनों नेताओं के साथ हम दोनों भी इंदिरा जी के निवास पहुंचे. दोपहर का वक्त था. हम लोगों ने पहले से समय ले रखा था, इसलिए हम चारों को सीधे इंदिरा जी ने अपने बैठक कक्ष में बुलवाया.

दुर्ग के कांग्रेसी नेताओं का नाम लेकर पूछा हाल

कुरैशी कहते हैं- मेरे लिए निजी तौर पर यह सुखद आश्चर्य का विषय था कि इंदिरा जी दुर्ग के बहुत से कांग्रेसी नेताओं का नाम लेकर पूछ रही थीं. खैर, हम लोगों की करीब पौन घंटे बात हुई. इसके बाद हम लोग जाने लगे तो इंदिरा जी ने कहा कि खाने का वक्त हो चुका है, चलिए साथ में भोजन कर लीजिए. इंदिरा जी के इस व्यवहार से हम तो अभिभूत हो गए. फिर इंदिरा जी हम चारों को लेकर डाइनिंग हॉल में गईं और वहां हम सबको आत्मीयता के साथ भोजन करवाया. इस दौरान उन्होंने संगठन से जुड़ी कई बातें की और भविष्य को लेकर अपनी योजनाएं बताईं. हम लोगों से जरूरी सुझाव लेकर उसे अपनी डायरी में नोट किया. इसके बाद हम लोग इंदिरा जी के काफिले के साथ आदर्श कालोनी पहुंचे, जहां घनघोर बारिश की वजह से भारी तबाही हुई थी. यहां इंदिरा जी ने सहायता सामग्री का वितरण किया.

कार्यकर्ताओं तक का नाम लेकर पूछती थीं हाल-चाल

कुरैशी कहते हैं- इस मुलाकात के बाद कुछ ऐसा हुआ कि जब भी देश के किसी भी हिस्से में कांग्रेस का कोई बड़ा आंदोलन होता था तो इंदिरा जी का संदेश जरूर आता था. इस मुलाकात के अलावा मुझे तीन बार चंदूलाल चंद्राकर जी के साथ भी इंदिरा जी से मिलने का मौका मिला. हमेशा वह आत्मीयता से मिलती थीं. हमेशा कार्यकर्ता स्तर के लोगों के बारे में पूछती थीं. मुझे हैरानी होती थीं कि उन्हें ज्यादातर कार्यकर्ताओं के नाम तक जुबानी याद रहते थे.

कुरैशी कहते हैं- तब इंदिरा जी जिस तरह संगठन को लेकर गंभीरता से बातें सुनती थी, उसका असर यह होता था कि पार्टी के कार्यकर्ता अपने आप को बेहद सम्मानित महसूस करते थे. यही गंभीरता स्व. राजीव गांधी में भी थी. इसके चलते मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी भी अपने ब्लाक स्तर तक के कार्यकर्ता की बात को तवज्जो देती थी.

कुरैशी कहते हैं- आज पार्टी में ऐसी गंभीरता कम देखने मिल रही है. आज की परिस्थिति में चिट्ठी भी लिखो तो चिट्ठी का अता-पता नहीं रहता है. इस पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.

कड़ाके की ठंड में इंदिरा जी का सारी रात जनता ने किया इंतजार

पूर्व मंत्री बदरुद्दीन कुरैशी बताते हैं- दुर्ग-भिलाई और छत्तीसगढ़ को लेकर इंदिरा जी का खास लगाव था. यहां के आदिवासी अंचल को लेकर वह हमेशा संवेदनशील रहीं. कुरैशी बताते हैं- 1970 से 1980 तक हर लोकसभा-विधानसभा चुनाव में इंदिरा गांधी प्रचार के लिए आईं. 1970 की ऐसी ही एक चुनावी सभा में पत्रकार के तौर पर मोतीलाल वोरा भी मौजूद थे. 1980 की सभा का जिक्र करते हुए कुरैशी बताते हैं-3-6 जनवरी 1980 को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना था और संभवत: 30-31 दिसंबर 1979 को इंदिरा जी छत्तीसगढ़ के दौरे पर थीं. खास बात यह थी कि भिलाई स्टील प्लांट की शेवरलेट एम्पाला कार मंगाई गई थी, जिसे विद्याचरण शुक्ल खुद ड्राइव कर रहे थे और इंदिरा जी सामने सीट पर बैठीं थीं. तब सेक्टर-8 के मैदान में आमसभा थी और रात 8 बजे तक इंदिरा जी के आने की घोषणा हो चुकी थी. दिसंबर की कड़कड़ाती ठंड में लोगों का हौसला कम नहीं हुआ था.

इंदिरा को जेल भेजे जाने से भड़की जनता ने दुर्ग में जिता दिया कांग्रेस को

हजारों की तादाद में मैदान में लोग शाम से इकट्ठा होने लगे थे लेकिन घोषणा पर घोषणा होती रहीं और इंदिरा जी नहीं पहुंच पाईं. इसके बावजूद जनता वहीं डटी रहीं. अंतत: रात करीब 2:30 बजे इंदिरा जी सभा स्थल पर पहुंची और लोगों ने पूरे धैर्य के साथ उनका भाषण सुना. तब चंदूलाल चंद्राकर कांग्रेस के प्रत्याशी थे. यहां से इंदिरा जी दुर्ग सर्किट हाउस पहुंची. कुछ देर विश्राम किया और फिर राजनांदगांव के लिए रवाना हो गई. इस चुनाव में चंदूलाल चंद्राकर भारी मतों से विजयी हुए थे.

कुरैशी एक अन्य घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहते हैं- जब 19 दिसंबर 1978 को मोरारजी देसाई सरकार ने इंदिरा गांधी को जेल भेजा तो पूरे देश में आक्रोश उबल पड़ा था. इन्हीं दिनों दुर्ग नगर निगम के चुनाव भी थे. उस आक्रोश का जवाब दुर्ग की जनता ने कांग्रेस को निगम चुनाव में भारी मतों से जीता कर दिया था.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है. भिलाई के इतिहास पर उन्होंने ‘वोल्गा से शिवनाथ’ नाम की किताब लिखी है. उनसे मोबाइल नंबर- 94255-58442 पर संपर्क किया जा सकता है.)
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