तुम्हारे शहर में लोग अर्थी को कांधा नहीं देते हमारे गांव में छप्पर भी सब मिलकर उठाते हैं -मुनव्वर राणा

छत्तीसगढ़ में मानसून की दस्तक जल्द होने वाली है. जून के पहले या दूसरे सप्ताह तक मानसून के आने की पूरी संभावना है. इसके मद्देनजर ग्रामीण क्षेत्रों में घरों के छप्पर को दुरुस्त करने का काम जोर-शोर से चल रहा है. छप्पर के टुटे-फुटे खपरों को निकालकर उसकी जगह साबूत खपरे को करीने से जमाया जा रहा है. बहुत सारे गांवों में यह काम अभी भी साहकारिता के जरिए होता है. इस तरह के कामों में ग्रामीण एक-दूसरे की भरपूर मदद करते हैं. इसी तरह की मदद का भाव धान के थरहा रोपाई के समय भी देखने को मिलता है. ग्रामीण एक-दूसरे के कामों में हाथ बंटाते हुए अक्सर देखे जा सकते हैं. शहरों में मजदूरों की कमी होती है, लेकिन गांवों में कभी मजदूरों की कमी नहीं होती. एक-दूसरे के सहयोग से काम हो जाते हैं. सहयोग का यह भाव ही गांव को गांव बनाए हुए है, वरना गांवों को शहर बनने में देर ही कितनी लगती है.

 

 

(वरिष्ठ पत्रकार व फोटोग्राफर प्राण चड्ढा ने यह तस्वीरें बिलासपुर के पास एक गांव से खींची हैं.)

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