इतिहास के पन्नों से
पूनम वासम : जिनकी कविताओं में छलकता है बस्तर का दर्द
छत्तीसगढ़ गाथा डेस्क. बस्तर के अंतिम छोर पर बसे बीजापुर की कवियत्री पूनम वासम ने कविताओं की वजह से देशभर में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. पूनम की कविताओं में बस्तर की लोक संस्कृति की झलक देखने को मिलती है, तो बस्तर का दर्द भी उभर कर सामने आता है. अपनी अनूठी भाषा शैली और
केदार सिंह परिहार-जिनका लिखा गीत 50 साल बाद भी लोगों की जुबान पर
छत्तीसगढ़ गाथा डेस्क. छत्तीसगढ़ी गीतों की जब भी बात होगी, केदार सिंह परिहार का नाम भला कौन भूल सकता है. मुंगेली के केशतरा में रहने वाले श्री परिहार ने कई
बैगा आदिवासियों के नाम किया जीवन
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर प्रभुदत्त खेरा 35 वर्षों तक अचानकमार के जंगल में रहे. शैक्षणिक भ्रमण पर लमनी आए प्रोफेसर खेरा ने बैगा आदिवासियों की जिंदगी को करीब से
बोलती कहानियां
बैगा आदिवासियों के नाम किया जीवन
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर प्रभुदत्त खेरा 35 वर्षों तक अचानकमार के जंगल में रहे. शैक्षणिक भ्रमण पर लमनी आए प्रोफेसर खेरा ने बैगा आदिवासियों की जिंदगी को करीब से देखा और फिर यहीं रहने का मन बना लिया. नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें महानगर की चकाचौंध नहीं
यादों के झरोखे
हबीब तनवीर ने रंगमंच को आम आदमी के लिए खोला और खेला
जीवेश चौबे/ प्रख्यात रंगकर्मी, निर्देशक, अभिनेता हबीब तनवीर का यह जन्म शताब्दी वर्ष है. उनका जन्म 1 सितंबर 1923 को रायपुर, छत्तीसगढ़ में हुआ. हबीब तनवीर के पिता हफीज अहमद खान पेशावर, पाकिस्तान के रहने वाले थे. हबीब तनवीर की स्कूली शिक्षा रायपुर से पूरी हुई. रायपुर के लॉरी म्युनिसिपल
गांव गुरु
43 एकड़ बंजर जमीन पर शास्त्रीय संगीत सुनकर बड़े हुए आम के पेड़, स्वाद ऐसा कि हर साल 20 लाख का मुनाफा
प्रफुल्ल ठाकुर/ शास्त्रीय संगीत में जो रस है, उसका पान तो आप सभी ने किया होगा, लेकिन बांसुरी की मधुर तान, तबले-मृदंग की थाप और सात सुरों के आरोह-अवरोह में बड़े हुए और पके आमों का रसपान करने का ख्याल कैसा रहेगा… इतना पढ़कर यदि मुंह में आम की मिठास
कला की दुनिया
कृष्ण का लोक, प्रेम और हम
पीयूष कुमार/ मुझे कृष्ण का गौपालक रूप बहुत प्रिय है. खासतौर से सूरदास और रसखान रचित. ब्रज के आलोक में जिस लोक का उन्होंने वर्णन किया है, वह अद्भुत है. 15वीं सदी में सूरदास के काव्य में गोपियां रास कर रही हैं. यह नागर समाज के हिसाब से क्रांतिकारी चित्रण
साहित्यनामा
पूनम वासम : जिनकी कविताओं में छलकता है बस्तर का दर्द
छत्तीसगढ़ गाथा डेस्क. बस्तर के अंतिम छोर पर बसे बीजापुर की कवियत्री पूनम वासम ने कविताओं की वजह से देशभर में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. पूनम की कविताओं में बस्तर की लोक संस्कृति की झलक देखने को मिलती है, तो बस्तर का दर्द भी उभर कर सामने आता है. अपनी अनूठी भाषा शैली और
जैव विविधता
हसदेव अरण्य में 167 पेड़-पौधों, 92 पक्षियों, 23 सरीसृप, 43 तितलियां व 31 स्तनपायी जीवों की प्रजातियां
प्रफुल्ल ठाकुर/ छत्तीसगढ़ का हसदेव अरण्य (हसदेव जंगल) इन दिनों चर्चा में है. हसदेव अरण्य को बचाने प्रदेश के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों और विदेशों तक में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. मध्यभारत का फेफड़ा कहे जाने वाले इस जंगल को काटने के निर्णय से लोग न केवल चिंतित
अजब-गजब
अजब दास्तान: जब पेड़ लगाने की वजह से नौकरी से बर्खास्त हुआ बीटगार्ड मनीराम
पीयूष कुमार/ बात लगभग 132 साल पुरानी है. छत्तीसगढ़ के रायपुर वनमंडल अंतर्गत एक अंग्रेज वन अधिकारी की पोस्टिंग पिथौरा में हुई. उन्होंने कुम्हारीमुड़ा गांव के एक निवासी मनीराम गोंड को बीटगार्ड की नौकरी पर रखा. मनीराम खाना बनाने में भी कुशल थे. उनके हाथों से बने भोजन का स्वाद
बोलती तस्वीरें
असंख्य रंगों को एक जगह समेटने की कोशिश
सत्यप्रकाश पांडेय/ प्रकृति की गोद में अनंत सौंदर्य और कलाएं बिखरी पड़ी हैं. सृजनात्मकता के इस महासागर में तितलियां काफी छोटी कृति हैं. पर वे इतनी मोहक होती हैं कि अनायास की हमारा मन मोह लेती हैं. ईश्वर ने उन्हें कुछ खास रंग दिए हैं और वे उन रंगों से
विविध
गांधी बनाम गोडसे या गांधी संग गोडसे
मनोज व्यास/ सड़क पर अनमने ढंग के चला जा रहा था तभी मेरी नजर सामने चल रही एक बूढ़ी काया पर पड़ी. ये क्या..मैं तो चौंक गया. ये तो महात्मा गांधी हैं. लेकिन ये बापू किसका हाथ पकड़कर चल रहे हैं.? अरे ये तो नाथूराम गोडसे है. बापू अपने हत्यारे